लेखनी प्रतियोगिता -09-Mar-2022
गुलाब की पंखुडियाँ
कितनी कोमल कितनी कमसिन
हैं ये गुलाब की पंखुड़ियां
भाव समर्पण का इनके अंदर
कितनी खूबसूरत हैं ये गुलाब की पंखुड़ियां
हैं शूल कई राह में इनके
फिर भी हरदम मुस्काती हैं
होती हैं घायल कई बार ये
टीस छुपा चमन महकाती हैं
भ्रमर मंडराते इनके ऊपर
तितलियाँ बैठ बैठ जाती हैं
महक से अपनी ये पंखुड़ियां
प्यार धरा पर महकाती हैं
हर खुशी में शिरकत इनकी
दुख में भी साथ निभाती हैं
कभी तन को शीतलता देती
कभी मोहब्बत का पैग़ाम लाती हैं
अपनी खुशी पाने को
दैखो क्रुर हाथो ने तोड लिया
था बडप्पन इन गुलाब की पंखुड़ियों का
उन क्रुर हाथो को भी महका दिया
श्वेता दूहन देशवाल
Seema Priyadarshini sahay
11-Mar-2022 05:10 PM
बहुत खूबसूरत
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Abhinav ji
11-Mar-2022 08:45 AM
Nice
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Shrishti pandey
10-Mar-2022 07:42 AM
Nice
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